Saturday, July 27, 2024
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West Bengal Politics: राज्यपाल को निजी विश्वविद्यालय के आगंतुक की कुर्सी से भी हटाने की तैयारी में बंगाल की सरकार।

पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal government) और राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के बीच रस्‍साकशी थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य सरकार अब राज्यपाल के लिए निजी विश्वविद्यालयों के दरवाजे भी बंद करने पर विचार कर रही है। पढ़ें यह रिपोर्ट…

कोलकाता, आईएएनएस। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) की जगह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनाने की दिशा में कदम उठाने के बाद, राज्य सरकार अब राज्यपाल के लिए निजी विश्वविद्यालयों के दरवाजे भी बंद करने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने बताया कि एक निजी विश्वविद्यालयों में राज्यपाल को आगंतुक की कुर्सी (Chair of Visitor) से हटाने और उनकी जगह राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु (Bratya Basu) को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।  

सूत्रों ने बताया कि निजी विश्वविद्यालयों में राज्यपाल को अतिथि की कुर्सी (Chair of Visitor in Private Universities) से हटाने और उनकी जगह राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु (Bratya Basu) को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों ने इस पहल पर सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई है। अब इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए अपनी अगली बैठक में रखा जाएगा, जिसके बाद सरकार विधानसभा के पटल पर इस संबंध में विधेयक पेश करेगी।

सूत्र ने बताया कि यदि राज्यपाल विधेयक को पारित करने से मना करते हैं तो राज्य सरकार अध्यादेश के माध्यम से नई प्रणाली पेश कर सकती है। पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच खींचतान किसी से छिपी नहीं है। जगदीप धनखड़ आए दिन ममता सरकार पर राज्यपाल की शक्तियों के हनन का आरोप लगाते रहे हैं। ममता सरकार ने हाल ही में फैसला लिया है कि राज्‍य के विश्‍वविद्यालयों के कुलाधिपति अब राज्यपाल नहीं बल्कि राज्य की मुख्यमंत्री (Chief Minister Mamata Banerjee) होंगी।

वहीं मुख्यमंत्री को राज्यपाल की जगह सूबे की यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति बनाने के प्रस्ताव पर शिक्षक संगठनों की मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। पश्चिम बंगाल कालेज एवं विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन और जादवपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संगठन जैसे संगठनों ने सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए प्रख्यात शिक्षाविदों को कुलाधिपति के पद पर नियुक्त करने की अपील की है। संगठनों का कहना है कि ऐसे कदम से शिक्षण संस्थान सियासत का अखाड़ा बन जाएंगे।

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