![](http://siddhisarkar.com/wp-content/uploads/2022/04/1115481-jrrsssyy.jpg)
Jersey Movie Review: Shahid Kapoor को अगर अच्छी कहानी मिलेतो वो कमाल दिखाने में पीछे नहीं रहते. हां अक्सर गलत मूवी जरुर चुन लेतेहैं. लेकिन ‘जर्सी’ गलत मूवी तो कतई नहीं है.
Jersey Movie Review: शाहिद कपूर (Shahid Kapoor) तीन साल बाद फिर अपना जादू दिखाने के लिए फिल्मी पर्दे पर लौट रहे हैं. इस फिल्म के लिए एक्टर ने जी जान से मेहनत की है और खुद को एक क्रिकेटर के रूप में फैंस के सामने लेकर आए हैं. कबीर सिंह के बाद शाहिद का ये रोल लोगों को कितना पसंद आएगा ये तो आना वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन अगर आप मूवी देखने का प्लान बना रहे हैं तो उससे पहले रिव्यू पढ़ लें
दिल को छू लेने वाला सीन
इस मूवी का एक सीन है, जिसमें कभी फर्स्ट क्लास क्रिकेट का बड़ा खिलाड़ी रहा क्रिकेटर 10 साल बाद क्रिकेट के मैदान में आने का सपना देखता है और उसको पंजाब की रणजी टीम में चुन लिया जाता है. जब सब अपना-अपना नाम लिस्ट में चेक कर लेते हैं, तब आखिर में वो अपना नाम चेक करता है. 12 वें नम्बर पर अपना नाम देखकर, वह चुपचाप अपनी बाइक उठाकर वहां से चला जाता है. लोग अनुमान लगाते हैं कि पहले पत्नी को बताएगा या कोच को या फिर अपने बेटे को, लेकिन वह गाड़ी को रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी करता है और रेलवे ब्रिज पार कर एक प्लेटफॉर्म पर पहुंचता है. अचानक एक ट्रेन उसके बगल से जैसे ही गुजरती है, वह आसमान की तरफ देखकर जोर से चिल्लाने लगता है… बिना थके, पूरे जोर से, आंसुओं के साथ… मानो सालों का गुबार आज ही निकालना है. उसको ऐसे चिल्लाते देख.. कोई देखता या सुनता तो डर ही जाता. जैसे ही ट्रेन गुजर जाती है, वो अपनी आवाज पर एकदम से ब्रेक लगाता है और चुपचाप उसी तरह वापस लौट आता है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं.
तेलुगू मूवी का हिंदी रीमेक
ये एक अकेला सीन है, जो इस मूवी को बाकी तमाम मूवीज से हटाकर एक अलग क्लास में डाल देता है. शाहिद कपूर ने क्रिकेटर का रोल इसी नाम ‘जर्सी’ वाली एक तेलुगू मूवी के हिंदी रीमेक में किया है. उन्हीं पर ये सीन फिल्माया गया था. दिलचस्प बात है कि उसी डायरेक्टर गौतम तिन्नौरी ने ये हिंदी मूवी भी डायरेक्ट की है, जिसने ओरिजनल तेलुगू में बनाई थी. हिंदी में रीमेक बनाने वालों के लिए शाहिद कपूर पहली पसंद होते जा रहे हैं. कबीर सिंह जैसी सुपरहिट मूवी भी उस मूवी को ओरिजनल में बनाने वाले डायरेक्टर ने ही डायरेक्ट की थी.
बीच में ही छोड़कर जा सकते हैं
बिल्कुल ये कहानी क्रिकेट की है. हारते-हारते जीतना. टीम में सेलेक्शन के लिए एड़ियां रगड़ता हीरो. क्रिकेट से जुड़े अधिकारियों की हरकतें. इसमें भी सबकुछ आम क्रिकेट मूवीज जैसा ही है. बावजूद इसके कहानी अलग है. फिल्म में कुछ ऐसा लोचा भी है जिसके चलते कुछ लोग इसे बीच में ही छोड़कर जा सकते हैं. लेकिन पूरी देखेंगे तो ये तय है कि आपको ये मूवी अपनी सी लगेगी, इमोशंस में बांध लेगी.
कहानी अर्जुन तलवार की
कहानी है अर्जुन तलवार (शाहिद कपूर) की. इस अनाथ लड़के की प्रतिभा पहचानकर उसका कोच बाली (पंकज कपूर) उसे तराशता है. एक दिन यह लड़का पंजाब टीम की जान बन जाता है. कई साल तक ये रणजी ट्रॉफी जैसे फर्स्ट क्लास मुकाबलों में सबसे ज्यादा बैटिंग एवरेज देता है. एक दिन अचानक वह फैसला करता है कि वह क्रिकेट नहीं खेलेगा. तब तक वह अपनी प्रेमिका विद्या से उसके पापा की मर्जी के खिलाफ शादी कर चुका था. उसकी सरकारी नौकरी भी फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में लग जाती है. वह आराम से अपने 5 साल के बेटे के साथ मस्ती से दिन गुजारता है.