ललितपुर। रविवार को फादर्स डे है। सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज ने फादर्स डे को एक अलग ही पहचान दी है। फादर्स डे पिता के सम्मान का दिन है। अमेरिका में फादर्स डे की स्थापना सोनोरा स्मार्ट डांड ने की थी। वहां यह दिवस सन 1910 में पहली बार जून माह के तीसरे रविवार को मनाया गया था। देश में पहले यह दिवस हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, नई दिल्ली, कानपुर, बंगलुरु, कोलकाता, पुणे जैसे बड़े शहरों में मनाया गया। धीरे-धीरे इस कार्यक्रम ने लोकप्रियता हासिल की और भारतवर्ष में यह उत्सव बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
आज के दिन बच्चे अपने पिता को सम्मान देकर अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं और उनकी दीर्घायु की कामना करते हैं। इस दिन बच्चे पापा को मिठाई खिलाकर व गिफ्ट देकर उनका सम्मान करते हैं। बच्चों ने परिचर्चा के माध्यम से कहा कि एक पिता ही हैं जो हमारी ख्वाहिशों को पूरा करते हैं। हमारे सुख-दु:ख में हमारा साथ निभाते हैं। हमें अपने पिता के आदर व सम्मान में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। उनकी हर एक बात का आदर करना चाहिए।
फादर्स डे पर पिता को दें तोहफा
दिव्यांश जैन का कहना है कि एक पापा ही तो हैं जिन्हें ज्यादा खुश करने की जरूरत ही नहीं पड़ती। क्योंकि वो हमेशा आपकी हर बात पर खुश रहते हैं। इस बार उन्हें कुछ रोचक गिफ्ट देकर खुश कर दें। फादर्स डे के मौके पर कुछ ऐसे तोहफे जैसे घड़ी, फॉर्मल शर्ट-पैंट,उनके पसंदीदा लेखक की किताबें आदि उन्हें भेंट स्वरूप दें। फादर्स डे को उत्साह व उमंग पूर्वक मनाए।
मेरे पिता मेरे आदर्श हैं। उनमें वे समस्त योग्यताएं हैं जो एक श्रेष्ठ पिता में होती हैं। वह केवल एक पिता ही नहीं है बल्कि वह हमारे एक सच्चे दोस्त की तरह हैं। पिताजी हमें हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हैं। – वैशाली तिवारी
भारतीय संस्कृति पितृ देवो भव, मातृ देवो भव की संस्कृति है। भारतीय संस्कृति अपनत्व और संस्कार में विश्वास करती है। हर परिस्थिति और परिवेश में बिना शर्त पिता को सम्मान देंगे। पिता के प्रति मनोभाव अच्छे रखें। उनके प्रति हमेशा कृतज्ञता अभिव्यक्त करें। – संस्कृति पुरोहित
आरेंशी का मानना है कि पिता जीवन के अर्थशास्त्र को ऐसे संभालते हैं कि घर स्वर्णभूमि बन जाता है। हमारे पिता वह वट वृक्ष हैं जिसकी छांव में समस्त वेद,पुराण, पुण्य फलित होते हैं। पितृ दिवस पिता के सम्मान का दिन है। – आरेंशी
पापा हर उम्र की वह संजीवनी हैं, जो जिंदगी जीने का साहस पैदा करते हैं। हमें नैतिक संस्कार देते हैं। समय की हांडी रिश्तों को पकाती है और नए दौर में सबसे अच्छा रिश्ता पिता के साथ ही निभाते हैं। पिता ही हमें संस्कारों का बोध कराकर संस्कारवान बनाते हैं। -रानी यादव
मैंने अपने पिता जी से ही दूसरों का सम्मान करना सीखा है। मेरे पापा हमेशा मुझसे कहते हैं कि जब हम दूसरों को सम्मान देंगे तभी दूसरा व्यक्ति हमें सम्मान देगा। उनकी यह सीख मेरे जीवन का मूलमंत्र बन गई है। -जेनिल
एक पिता ही हैं जो हमारी ख्वाहिशों को पूरा करते हैं। हमारे सुख-दु:ख में हमारा साथ निभाते हैं। हमें अपने पिता के आदर व सम्मान में कोई कमी नहीं रखनी चाहिए। उनकी हर एक बात का आदर करना चाहिए। – अभि सिसौदिया
पिता वो शब्द जो अपने आप में साहस का प्रतीक है। जब हम इसका उच्चारण करते हैं तो स्वत: हमारी रगों में आत्मविश्वास का संचार होने लगता है। एक मजबूत शख्सियत हमारे सामने आने लगती है। उनका हाथ पकड़कर कब बचपन गुजर जाता है पता ही नहीं चलता। पिता वो ताकत होती है जो बड़े से बड़े तूफ़ान से भी अपनी औलाद के लिए लड़ जाती है, पर अपने बच्चे को खरोंच भी नही आने देती है। -नेहा जैन अजीज, शिक्षिका