Saturday, July 27, 2024
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गर्भावस्था से लेकर पहले दो वर्ष बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए एक अनूठा अवसर होता है:कमलेश चौधरी ।

ललितपुर। श्री दीपचंद चौधरी महाविद्यालय में 1000 दिन के पोषण का महत्व विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। सर्वप्रथम महाविद्यालय के प्रबंधक कमलेश चौधरी, प्राचार्य डॉ जे एस तोमर, डॉ खुशबू सिद्दीकी ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन किया, तत्पश्चात संगोष्ठी प्रारंभ हुई।
 इस मौके पर प्रबंधक कमलेश चौधरी ने कहा कि जन्म के पहले 1000 दिन, गर्भावस्था से लेकर पहले दो वर्ष बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए एक अनूठा अवसर होता है। इसी दौरान बच्चों के संपूर्ण स्वास्थ्य, वृद्धि और विकास की आधारशिला तैयार होती है, जो पूरे जीवन बच्चे के काम आती है। लेकिन अक्सर गरीबी और कुपोषण के कारण यह आधारशिला कमजोर हो जाती है, जिसके कारण समय पूर्व मौत और शारीरिक विकास प्रभावित होता है। प्राचार्य डॉ जे एस तोमर ने जीवन के प्रथम 1000 दिनों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यह बच्चे के विकास, बढ़त और स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि है। जिसमें हम बच्चे व माँ को सही समय व सही पोषण प्रदान कर उसे एक स्वस्थ व खुशहाल जीवन प्रदान कर सकते हैं। डॉ खुशबू सिद्दीकी ने बताया कि कुपोषण का एक चक्र होता है और इस चक्र को तोड़ना अत्यंत आवश्यक है, यदि एक किशोरी कुपोषित है तो वह भविष्य में जब गर्भवती होगी तो वह कुपोषित ही रहेगी और एक कुपोषित बच्चे को जन्म देगी। प्रथम 1000 दिनों में उपलब्ध पोषण बच्चों को जटिल बीमारियों से लड़ने की ताक़त देता है। बच्चे के जीवन के प्रथम 1000 दिनों में उचित पोषण की कमी के ऐसे परिणाम हो सकते हैं जिन्हें पुनः परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग प्रभारी अंशुल दुबे ने बताया कि पहले 1000 दिन बच्चे के जीवन की नींव होते हैं। यह नहीं सोचना चाहिए कि बच्चा जब दुनिया में आएगा तब ही उसके खान-पान पर ध्यान देना है , बल्कि बच्चा जिस दिन से माँ के गर्भ में आता है उसी दिन से उसका शारीरिक मानसिक विकास होना प्रारंभ होने लगता है। बच्चा जब तक माँ के गर्भ में होता है तब तक वह पूर्णतः माँ के भोजन पर निर्भर होता है। अतः गर्भावस्था के दौरान माँ को आयरन, फोलिक एसिड व आयोडीन युक्त भोजन व संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए ताकि गर्भ में पल रहे बच्चे को पोषण मिलता रहे। प्रसव के पश्चात् 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए तथा 6 माह के बाद बच्चे को कम से कम दिन में दो से तीन बार खाना खिलाये और चम्मच से खिलाये ताकि बच्चें को आदत पड़ सके शुरू-शुरू में बचा थूकेगा पर ऐसे ही सीखना शुरू करेगा। पूरक आहार न लेने से बच्चा इसी उम्र से कुपोषित होना शुरू हो जाता हैं, बच्चें को एनीमिया, विटामिन ए की कमी, जिंक की कमी हो सकती है।
प्रो सुमिता पांडेय ने बताया कि पोषण स्तर मुख्यतः तीन कारकों से प्रभावित होता है- भोजन, स्वास्थ्य और देखभाल। अधिकतम पोषण संबंधी परिणाम तभी प्राप्त हो सकते हैं, जब किफ़ायती एवं विविध पोषक तत्व युक्त भोजन तक पहुँच हो, उपयुक्त मातृ एवं शिशु देखभाल अभ्यास हो, पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं हों, और सुरक्षित व स्वच्छ पेयजल तथा स्वच्छ वातावरण हो। उचित पोषण के बारे में बताते हुए प्रो एकता शर्मा ने कहा कि गर्भावस्था में-आयरन व फोलिक एसिड से भरपूर भोजन, जो कि गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास व बढ़त के लिए जरूरी है। 6 माह के शिशु के लिए- माँ का दूध 6 माह तक बच्चे की सभी पोषक तत्वों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। अतः 6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान कराना चाहिए।
प्रो नितिन जैन ने कहा कि 6 माह से 2 साल तक की अवस्था में फल, फलियाँ व प्रोटीनयुक्त पदार्थ जैसे अंडा  बच्चों को दिया जाना चाहिए जो कि उनके सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। प्रो नीतू शर्मा ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान क्या करना चाहिए। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था की पहचान होने पर अतिशीघ्र निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर पंजीकरण कराना चाहिए। नियमित जांच कराना चाहिए। पौष्टिक व संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए। स्तनपान के संबध में उचित जानकारी प्राप्त करना चाहिए। चिकित्सक द्वारा दिए गए परामर्शों का पालन करना चाहिए। प्रो यासमीन जहां ने बताया कि जन्म के 1 घंटे के भीतर बच्चे को स्तनपान कराना, बच्चे को कोलोस्ट्रम (पहला पीला गाड़ा दूध) को देना6 माह तक शिशु को केवल स्तनपान करना, 6 माह के बाद ऊपरी आहार की शुरुआत करना, शिशु व बच्चे का नियमित स्वास्थ्य जांच कराना सुनिश्चित करना चाहिए। प्रो मिनी जैन ने कहा कि शिशु व बच्चे का नियमित व समय से टीकाकरण कराना व एक स्वस्थ्य पीढ़ी के लिए जीवन के प्रथम 1000 दिनों के दौरान स्वास्थ्य देखभाल महत्वपूर्ण है। इस मौके पर प्रबंधक कमलेश चौधरी, प्रदीप चौधरी, प्रवीण चौधरी, प्राचार्य डॉ जे एस तोमर, डॉ खुशबू सिद्दीकी, सुमिता पांडेय, नीतू शर्मा, एकता शर्मा, नितिन जैन, मिनी जैन, यासमीन जहाँ, आदित्य मिश्रा, राकेश राजन, नीरज सिंह, मनीष कुमार, अभिषेक रावत, ब्रजेश पटैरिया, राहुल चौबे, सल्लन अली, सपना, रीमा, प्रदीप कुमार, प्रदीप गंगेले, आकाश राय, श्रीराम, महेंद्र झा, शुभम सिंघई, प्रकाश साहू, अनुज सेन, सुमन कुमार, भगवानदास, मुकुल आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग प्रभारी अंशुल दुबे ने किया।

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