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रघुवीर चारण। अपने देश के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना प्रत्येक राष्ट्र की प्राथमिकता होती है। वैश्विक स्तर पर देखें तो जहां विकसित देश आधारभूत स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ बनाने के लिए कुल जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा व्यय करते हैं, वहीं हमारे देश की जनसंख्या के अनुरूप स्वास्थ्य प्रणाली पर होने वाला खर्च अभी बहुत कम है।
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और सुगम बनाने के लिए कई योजनाएं लाई गईं। इसी क्रम में सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत योजना को चरणबद्ध रूप से लागू किया गया। प्रथम चरण में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर स्थापित किए गए जिसमें लगभग एक लाख वेलनेस केंद्र वर्तमान में संचालित हैं। ये केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करते हैं जिसमें मातृ और बाल स्वास्थ्य सेवाएं व गैर संचारी रोगों का इलाज शामिल है। इन केंद्रों के संचालन से ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती मिली है। आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजना है जिसमें बड़े पैमाने पर आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जा रहा है
ग्रामीण क्षेत्रों में उत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं हासिल होने से जनता के लिए इस योजना ने संजीवनी का काम किया है। एक समय था जब गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती थी। ऐसे परिवारों के लिए आयुष्मान भारत का अमूल्य योगदान रहा। स्वास्थ्य प्रणाली को प्रगतिशील बनाने और सुदूर इलाकों समेत ग्रामीण स्तर पर संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने तथा निम्न वर्ग को मुफ्त एवं गुणवत्ता युक्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में इस योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उल्लेखनीय है कि पिछले एक साल में करीब 21 करोड़ आयुष्मान हेल्थ कार्ड जारी किए जा चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्रलय की रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के अंतर्गत करीब 17 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए और ढाई करोड़ उपचार पर लगभग 28 हजार करोड़ राशि खर्च की गई।
आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करते हुए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की गई है। इसके तहत पांच साल के लिए 1,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसका मतलब है कि पूरे देश के लिए सालाना 320 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। पिछले साल सितंबर में यह योजना देश के कुछ खास हिस्सों में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत देश के सभी नागरिकों को हेल्थ आइडी बनवाने की सुविधा दी जाएगी और इसके माध्यम से नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी पूरी जानकारी डिजिटल हो जाएगी।
आयुष्मान भारत योजना का विस्तार करते हुए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की गई है। इसके तहत पांच साल के लिए 1,600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसका मतलब है कि पूरे देश के लिए सालाना 320 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। पिछले साल सितंबर में यह योजना देश के कुछ खास हिस्सों में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत देश के सभी नागरिकों को हेल्थ आइडी बनवाने की सुविधा दी जाएगी और इसके माध्यम से नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी पूरी जानकारी डिजिटल हो जाएगी।