आखिर क्यों एक जिन्दगी को न्याय पाने की जंग में फिर से जीता पुलिस प्रशासन, जान की कीमत का हिसाब लेने के लिए दिन भर चली जद्दोजहद के बाबजूद मृतक के परिजनों को न्याय न मिलकर पुलिस प्रशासन ने न्याय की बाजी अपने हक में कर ली।
पैसों के आगे न्याय एवं न्याय के आगे जिन्दगी कब पैसों की खातिर हार जाती है इसका जीता जागता प्रमाण जनपद ललितपुर के थाना पाली अन्तर्गत एक निर्दोष व्यक्ति ने अपनी जान गवाकर पुलिस द्वारा किये गये कृत्य से चुकाई यह उजागर हो गया कि आज पैसों के आगे इन्सान की जान का कोई मूल्य नहीं है जबकि पुलिस को जनता की सुरक्षा के लिए सरकार ने एक माध्यम बनाया है आज वही माध्यम अपनी खुन्नस निकालने के लिए इंसान की जान से खेल रहा है। यह ललितपुर जनपद का इकलौता मामला नहीं है इसी तरह से अभी कुछ माह पूर्व ही दो निर्दोष नौजवानों ने पुलिस प्रशासन से प्रताड़ित होकर अपनी जान देकर चुकाई थी, उस पर भी ललितपुर जनपद के पुलिस प्रशासन ने पैसों की दम पर मामले को रफादफा कर दिया था। कि दिनांक 28.08.2021 को घटित घटना के सन्दर्भ में एक षड़यन्त्र के तहत पुलिस प्रशासन ने मृतक के परिजनों पर अत्याचार कर अपनी पुलिस की ताकत का दुरूपयोग करते हुये मामले को खत्म करने का जबरन प्रयास किया वहीं जनपद में बैठे कई राजनेता व कई स्वंयसेवी संस्थायों के तथाकथित मुखिया इस प्रकरण पर अपनी रोटी सेंकने के लिए आ गये थे। मामले पर यदि गम्भीरता से लिया जाये तो मृतक के परिजनों को झूठी सूचना देकर पुलिस ने न ही केवल गुमराह किया बल्कि उनके मानव अधिकारों का भी हनन किया, किसी भी घटना में जब पंचनामा करते समय कम से कम परिवार के एक व्यक्ति का होना अनिवार्य है ऐसी स्थिति में मृतक के परिजनों का इस पंचनामा में न होना पुलिस की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा करता है साथ ही यदि किसी भी हत्या/आत्महत्या जिसका होना संदेहास्पद हो उस मृतक के शव का पोस्टमार्टम जिला प्रशासन द्वारा एक पैनल को गठित कर उसकी वीडियोग्राफी कराकर किया जाता है लेकिन इस मामले में पुलिस प्रशासन इतनी जल्दी में क्यों था कि उन्होने उक्त नियमों को ताक पर रखकर उक्त घटनाक्रम को अंजाम दिया। बाबजूद इसके यदि दिन भर चले प्रकरण में न्याय को पाने का आधार परिजनों द्वारा माना जाये तो दैनिक सिद्धी सरकार ने जब इस मामले पर पुलिस अधीक्षक ललितपुर से जानकारी मांगी तो पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की न्यायिक जॉच कराकर आरोपियों के विरूद्ध उचित विधिक कार्यवाही की जायेगी, इसके आगे सिद्धी सरकार से बातचीत में यह प्रश्न पुलिस अधीक्षक महोदय से किया गया कि उक्त मामले में परिजनों के अनुसार आरोपी पुलिस कर्मियों पर क्या कार्यवाही हुयी ? एवं किन धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ इसका जबाब देते हुये पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अभी जॉच चल रही है एवं जॉच पूरी होने के बाद ही उन पर विधिक कार्यवाही की जायेगी।
इसी क्रम में समाजसेवी संस्थाओं ने विगत दिवस थाना पाली में तेजपाल लोधी की पुलिस अभिरक्षा में मौत को लेकर जनपद की राजनैतिक पार्टियों ने अपना विरोध प्रदर्शित करते हुये कहा कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो क्या होगा। लोकसपा के राष्ट्रीय महासचिव राघवेन्द्र सिंह सिसौदिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन के माध्यम से मृतक परिजनों को पचास लाख का मुआवजा दिलाने एवं सी.बी.आई.जांच की मांग की है जिससे घटनाक्रम का दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा वे यूथ विंग के अध्यक्ष जावेद किरमानी ने घटनाक्रम की घोर निंदा की है एवं पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी कार्यशैली ठीक नहीं है वह लगातार लोगों का शोषण एवं धन उगाही का काम कर रहे हैं मृतक के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए। पुलिस अभिरक्षा में घटनाक्रम के समय जितने भी पुलिस कर्मचारी थाना में मौजूद थे उनको निलंबित कर हत्या का मामला दर्ज कर कार्यवाही की जानी चाहिए। समाजवादी पार्टी के युवा नेता राजेश यादव ने भी घटनाक्रम की घोर निंदा की है एवं मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा एवं दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की मांग की।
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